विज्ञान कथा
--------------------------------------------------------------------------------------------
सुबह हो गई
मुर्गे की बांग सुनकर भोलू की नींद खुली। मौसम सुहाना था। अंगड़ाई लेते हुए वह उठा और घर से बाहर आया। अभी ठीक से उजाला नहीं हुआ था लेकिन गांव में चहल पहल शुरू हो गई थी।
मौसी अभी सोकर नहीं उठी थी। वह भोलू के पड़ोस में रहती थी। वह अकेली थी। न उससे मिलने कोई रिश्तेदार आते थे न वह कहीं आती जाती थी। बस गांव में ही जरूरत के हर मौके पर मौजूद रहती थी।
मौसी काफी बुजुर्ग हो गई थी और सारे गांव के लिए मौसी थी। भोलू के लिए तो वह मां जैसी थी। भोलू के माता पिता दोनों शिक्षक थे। वे सुबह काम पर निकल जाते थे। इसके बाद भोलू की देखरेख मौसी के जिम्मे थी। कभी जल्दी जल्दी में भोलू के घर खाना नहीं बन पाता तो उसका टिफिन भी मौसी दे देती थी।
भोलू अक्सर सुबह उठते ही मौसी के घर की ओर झांकता था। मौसी तब उठकर काम कर रही होती थी। उसका हालचाल पूछने के बाद ही वह दूसरे काम करता था।
आज पता नहीं क्या बात है कि मौसी अभी तक सो रही हैं, भोलू ने सोचा। फिर उसके दिमाग में आया कि कहीं उसकी तबीयत तो खराब नहीं है? उसने मौसी के दरवाजे पर जाकर टोह लेने की कोशिश की लेकिन कुछ समझ में नहीं आया।
उसने आवाज लगाई-मौसी..
भीतर से मौसी की आवाज आई- आती हूं बेटा।
मौसी ने घर का दरवाजा खोला। भोलू को देखकर मुस्कुराई। लेकिन उसका चेहरा कुछ उदास था। भोलू ने पूछा- क्या बात है मौसी? तबीयत ठीक नहीं है क्या?
मौसी ने अपनी उदासी छिपाते हुए कहा- नहीं बेटा। आज पता नहीं क्यों नींद ही देर से खुली।
भोलू ने गौर से देखा तो उसे लगा कि मौसी की आंखों में आंसू हैं। उसने मौसी से तो कुछ नहीं कहा लेकिन भीतर जाकर मां से कहा- लगता है मौसी की तबीयत ठीक नहीं है।
आज रविवार था। मां को स्कूल जाने की जल्दी नहीं थी। सो उसने गौर से भोलू की बात सुनी। फिर खुद ही मौसी से हालचाल पूछने उसके घर चली गई।
भीतर दोनों में पता नहीं क्या बात हुई। भोलू ने देखा कि मौसी के घर से आने के बाद मां कुछ परेशान और नाराज लग रही थीं। उसे कुछ समझ में नहीं आया। उसने मां से पूछा- मां क्या बात है? मौसी उदास क्यों हैं?
मां भोलू के सवालों को टालती नहीं थी। उनके जवाब देने की कोशिश करती थी। उसने कहा- बेटा, गांव के कुछ लोग मौसी को परेशान कर रहे हैं। मौसी अकेली रहती है इसलिए उसे डरा कर उसके मकान पर कब्जा करना चाहते हैं। वे मौसी के बारे में अफवाह फैला रहे हैं कि वह जादू टोना करती है और दूसरों का नुकसान करती है। उन लोगों ने मौसी को धमकी दी है कि उसे आग पर चलकर अपने निर्दोष होने का सबूत देना होगा।
भोलू को सुनकर धक्का लगा। इतनी अच्छी मौसी के बारे में इतनी बुरी बातें। अब क्या होगा?
उसने मां से पूछा। मां ने कहा- मैं ऐसा होने नहीं दूंगी। तुम्हारे पापा से इस बारे में बात करूंगी।
भोलू के पापा भी स्कूल में विज्ञान पढ़ाते थे। बच्चों को विज्ञान के प्रयोग करके दिखाते थे। बच्चे उन्हें इस वजह से बहुत पसंद करते थे।
इस समय वे नहा रहे थे। नहाकर निकले तो मां ने उनसे मौसी के बारे में बताया। भोलू के पापा ने कहा- चिंता की बात नहीं है। हम मौसी की रक्षा करेंगे। भोलू की मां मौसी को यह बात बताने गई। उसने मौसी से कहा-चिंता की बात नहीं है। हम लोग कुछ करेंगे।
0000000000
भोलू के पिता ने कहा- मैं जरा रायपुर होकर आता हूं। मेरे डॉक्टर दोस्त दिनेश मिश्रा वहां रहते हैं। वे अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति नाम की संस्था चलाते हैं। जहां कुछ लोग चमत्कार दिखाकर लोगों को ठगते हैं वहां जाकर वे और उनके साथी चमत्कारों की पोल खोल देते हैं। जब किसी महिला पर जादू टोने का आरोप लगता है तो डाक्टर साहब वहां जाकर लोगों को समझाते हैं कि जादू टोना कुछ नहीं होता। वे उन्हें यह जानकारी भी देते हैं कि किसी पर जादू टोने का आरोप लगाना कानून की नजर में अपराध है। इसके लिए सजा हो सकती है। डाक्टर साहब को राज्य सरकार ने उनके इस काम के लिए पुरस्कार भी दिया है।
मां ने कहा- मैंने भी उनका नाम सुना है। अब जरूर कोई रास्ता निकलेगा। भोलू के पापा डाक्टर साहब से मिलने चले गए।
000
शाम को वे लौटे। उन्होंने कहा-डाक्टर साहब खुद यहां आएंगे। उन्होंने मौसी की मदद करने का वादा किया है।
मां ने खुश होकर भोलू की ओर देखा। वह तो सबसे ज्यादा खुश था।
वे सब डाक्टर साहब का इंतजार करने लगे।
000
दो दिन बाद, मुर्गे की बांग की जगह भोलू की नींद डमरू की आवाज से खुली। उसने सोचा बाहर कोई मदारी आया होगा। वह उठकर बाहर आया मगर जो देखा उससे डरकर भीतर आ गया। बाहर कुछ अजीब से लोगों की टोली गाते बजाते चली आ रही थी। वे लोग अपने बदन पर भभूत लगाए हुए थे। सर पर जटाएं थीं। दाढ़ी बढ़ी हुई थी। सब नंगे पांव थे। कुछ के पास शंख थे। कुछ के पास मंजीरे। वे सब अपनी धुन में मस्त दिख रहे थे।
गांव वाले उनकी वेशभूषा देखकर डरे हुए थे। लेकिन कुछ लोग उत्सुकता से उनके पीछे पीछे चल रहे थे। इनमें बच्चे ज्यादा थे। इन्हें देखकर भोलू भी पीछे हो लिया। इस टोली ने गांव के बाजार के पास एक पेड़ के नीचे डेरा डाला। उनका संतों जैसा वेश देखा तो कुछ गांव वालों ने आकर उनके पांव छुए। टोली के मुखिया ने कमंडल से निकाल कर रंगीन पानी श्रद्धालुओं पर छिडक़ा। कुछ भक्तों को कपड़े खराब होने से बुरा भी लगा लेकिन वे चुप रहे। थोड़ी देर बाद रंग गायब हो गया। भक्त हैरान हो गए। वे टोली की जयजयकार करने लगे। जल्द ही यह खबर फैली और पूरा गांव वहां जमा हो गया। लोग उनके पांव छूने लगे। जल्द ही वहां दरियां बिछ गईं और लोग बाबाओं के साथ कीर्तन करने लगे।
मुख्य बाबा ने तब कहा- सूखी लकडिय़ां ले आओ। हमारे अनुष्ठान का समय हो गया।
गांव वाले आनन फानन सूखी लकडिय़ां लेकर आ गए। उन्हें एक जगह जमाकर मुख्य बाबा ने उस पर पानी के छींटे मारे तो लकडिय़ों से धुआं निकलने लगा। बाबा और उनके साथियों की जयजयकार होने लगी।
बाबा ने हाथ में दो रस्सियां लीं। कुछ मंत्र बुदबुदाए । रस्सियों का एक एक सिरा पकडक़र झटका दिया। लोग हैरान रह गए कि दोनों रस्सियां जुडक़र एक हो गईं। बाबा की फिर जयजयकार होने लगी।
बाबा ने आग को हथेली पर रखने और उसे मुंह में रखकर मुंह बंद करने जैसे चमत्कार भी दिखाए। लोग उनके मुरीद हो गए।
फिर तो बाबा का आशीर्वाद पाने की होड़ मच गई। यह सिलसिला थमा तो लोग अपनी समस्याएं बाबा को बताने लगे। बाबा ने बहुत सी समस्याओं का समाधान किया। आंखों से जुड़ी समस्याओं का तो उन्होंने बहुत आसानी से समाधान बताया। लोग उनका ज्ञान देखकर हैरान रह गए।
घंटे भर यह सब चलने के बाद बाबा ने कहा- मुझे लग रहा है कि गांव में कुछ गलत नीयत वाले लोग भी रहते हैं। मैं नींबू काटकर देखता हूं कि मेरा अनुमान सही है कि नहीं। नींबू से अगर खून निकला तो समझो ये लोग गांव में हैं। गांव वाले उत्सुकता से देखने लगे। बाबा ने झोले से एक नींबू निकाला, उसे चाकू से काटा तो खून जैसा लाल लाल रस निकलने लगा। बाबा ने आंखें बंद कीं और पूछा- यहां बिज्जू, रज्जू और कल्लू कौन हैं? तीनों भीड़ में ही खड़े थे। हालांकि वे गांव में सबको डराते धमकाते थे लेकिन बाबा का चमत्कार देखकर डरे हुए थे। उन्होंने आगे आकर कहा- हम हैं बिज्जू, रज्जू और कल्लू।
बाबा ने कहा- मेरी दिव्य दृष्टि कहती है कि तुम लोग किसी कमजोर को सता रहे हो। क्या यह सच है?
तीनों ने कहा- नहीं बाबा, ऐसा नहीं है।
तो क्या मैं झूठ बोल रहा हूं-बाबा गरजे।
तीनों के मुंह से बोल नहीं फूटे।
बाबा ने कहा- अगर तुम लोग निर्दोष हो तो तुम्हें आग पर चलकर इसका सबूत देना होगा। क्यों भई गांव वालों?
बाबा की मौजूदगी में गांव वालों में जोश आ गया था। उन्होंने एक साथ कहा-जरूर जरूर।
तीनों घबरा गए। फिर उनमें से एक ने कहा- हम लोग जरा अपने घर से आते हैं। बाबा का जवाब सुनने के पहले वे तीनों तेज कदमों से वहां से निकल भागे।
इसके बाद घंटे भर लोग उनका इंतजार करते रहे। वे नहीं लौटे।
बाबा ने कहा- कोई बात नहीं। अगर इन्होंने कमजोर को सताना जारी रखा तो मुझे पता चल जाएगा और मैं अगले हफ्ते फिर आऊंगा। तब ये कहीं भाग नहीं सकेंगे।
बाबा की जयजयकार के नारे गूंजने लगे। बाबा ने कहा- अब हम प्रस्थान करेंगे।
बाबाओं की टोली गांव से गाते बजाते रवाना हुई।
मौसी की समस्या हल हो चुकी थी।
000000
रात में खाने के समय भोलू ने पापा से पूछा- डा. दिनेश मिश्रा कब आएंगे?
पापा मां की तरफ देखकर मुस्कुराए फिर भोलू से कहा- बाबाओं की टोली के मुखिया डाक्टर साहब ही थे। वे सब वेश बदलकर आए थे। मैंने उन्हें पहचान लिया। यह सारा ड्रामा उन्होंने बदमाशों को डराने और मौसी को बचाने के लिए किया। डाक्टर साहब ने मुझसे फोन पर कहा है कि अभी उनका मकसद मौसी को बचाना था। वह तो हो गया। समय और मौका देखकर वे गांव वालों को चमत्कारों की हकीकत भी बता देंगे और यह भी बता देंगे कि टोना टोटका कुछ नहीं होता। अगर बेचारी मौसी में चमत्कारी शक्तियां होतीं तो वे बदमाशों को सबक सिखा सकती थीं। लेकिन वे तो मामूली इंसान हैं। इसीलिए बदमाश उन्हें सता रहे हैं। डाक्टर साहब ने यह भी कहा है कि बदमाश न माने तो वे पुलिस की भी मदद लेंगे।
भोलू हैरान रह गया। उसने मन ही मन कहा- डाक्टर साहब तो हीरो हैं।
पापा ने कहा- डाक्टर साहब ने बाबा के रूप में जितने चमत्कार दिखाए वे विज्ञान के मामूली खेल हैं। ये खेल मैं तुम्हें भी सिखा दूंगा।
भोलू खुश हो गया। पापा ने उसे बताया कि सोडियम के टुकड़े पर पानी डालने से धुआं उठने लगता है। सोडा लगे हुए चाकू से नींबू काटने पर उसका रस लाल हो जाता है। पापा ने उसे हाथ की सफाई वाले जादू भी सिखाए जिनमें रस्सियों को गांठ लगाए बगैर जोडऩे का जादू शामिल था। उन्होंने वादा किया कि शहर में लगने वाले मेले से वे उसे जादू दिखाने का किट ला देंगे। भोलू उसकी मदद से अपने साथियों को ढेर सारे खेल दिखा सकेगा।
भोलू ने स्कूल में कुछ चमत्कार करके दिखाए और दोस्तों को उनकी हकीकत भी बताई। दोस्तों को पता चल गया कि विज्ञान की पढ़ाई करने के क्या फायदे हैं।
000
कुछ रोज ऐसे ही बीते। मौसी रोज सुबह उठती। उसके चेहरे पर उदासी नहीं होती। उसकी दिनचर्या पहले जैसी चलने लगी। भोलू ने एक रोज मां से पूछा तो उन्होंने बताया कि मौसी को अब कोई नहीं सता रहा है। बदमाशों को पता चल गया है कि मौसी को बचाने के लिए बाबाओं की पूरी टोली मौजूद है।
एक सुबह भोलू उठकर मौसी के घर गया। उसने मौसी से पूछा- क्यों मौसी, सुबह हो गई?
मौसी ने मुस्कुराते हुए कहा- गांव में वाकई सुबह हो गई।
- निकष परमार
0000000000000000000
--------------------------------------------------------------------------------------------
सुबह हो गई
मुर्गे की बांग सुनकर भोलू की नींद खुली। मौसम सुहाना था। अंगड़ाई लेते हुए वह उठा और घर से बाहर आया। अभी ठीक से उजाला नहीं हुआ था लेकिन गांव में चहल पहल शुरू हो गई थी।
मौसी अभी सोकर नहीं उठी थी। वह भोलू के पड़ोस में रहती थी। वह अकेली थी। न उससे मिलने कोई रिश्तेदार आते थे न वह कहीं आती जाती थी। बस गांव में ही जरूरत के हर मौके पर मौजूद रहती थी।
मौसी काफी बुजुर्ग हो गई थी और सारे गांव के लिए मौसी थी। भोलू के लिए तो वह मां जैसी थी। भोलू के माता पिता दोनों शिक्षक थे। वे सुबह काम पर निकल जाते थे। इसके बाद भोलू की देखरेख मौसी के जिम्मे थी। कभी जल्दी जल्दी में भोलू के घर खाना नहीं बन पाता तो उसका टिफिन भी मौसी दे देती थी।
भोलू अक्सर सुबह उठते ही मौसी के घर की ओर झांकता था। मौसी तब उठकर काम कर रही होती थी। उसका हालचाल पूछने के बाद ही वह दूसरे काम करता था।
आज पता नहीं क्या बात है कि मौसी अभी तक सो रही हैं, भोलू ने सोचा। फिर उसके दिमाग में आया कि कहीं उसकी तबीयत तो खराब नहीं है? उसने मौसी के दरवाजे पर जाकर टोह लेने की कोशिश की लेकिन कुछ समझ में नहीं आया।
उसने आवाज लगाई-मौसी..
भीतर से मौसी की आवाज आई- आती हूं बेटा।
मौसी ने घर का दरवाजा खोला। भोलू को देखकर मुस्कुराई। लेकिन उसका चेहरा कुछ उदास था। भोलू ने पूछा- क्या बात है मौसी? तबीयत ठीक नहीं है क्या?
मौसी ने अपनी उदासी छिपाते हुए कहा- नहीं बेटा। आज पता नहीं क्यों नींद ही देर से खुली।
भोलू ने गौर से देखा तो उसे लगा कि मौसी की आंखों में आंसू हैं। उसने मौसी से तो कुछ नहीं कहा लेकिन भीतर जाकर मां से कहा- लगता है मौसी की तबीयत ठीक नहीं है।
आज रविवार था। मां को स्कूल जाने की जल्दी नहीं थी। सो उसने गौर से भोलू की बात सुनी। फिर खुद ही मौसी से हालचाल पूछने उसके घर चली गई।
भीतर दोनों में पता नहीं क्या बात हुई। भोलू ने देखा कि मौसी के घर से आने के बाद मां कुछ परेशान और नाराज लग रही थीं। उसे कुछ समझ में नहीं आया। उसने मां से पूछा- मां क्या बात है? मौसी उदास क्यों हैं?
मां भोलू के सवालों को टालती नहीं थी। उनके जवाब देने की कोशिश करती थी। उसने कहा- बेटा, गांव के कुछ लोग मौसी को परेशान कर रहे हैं। मौसी अकेली रहती है इसलिए उसे डरा कर उसके मकान पर कब्जा करना चाहते हैं। वे मौसी के बारे में अफवाह फैला रहे हैं कि वह जादू टोना करती है और दूसरों का नुकसान करती है। उन लोगों ने मौसी को धमकी दी है कि उसे आग पर चलकर अपने निर्दोष होने का सबूत देना होगा।
भोलू को सुनकर धक्का लगा। इतनी अच्छी मौसी के बारे में इतनी बुरी बातें। अब क्या होगा?
उसने मां से पूछा। मां ने कहा- मैं ऐसा होने नहीं दूंगी। तुम्हारे पापा से इस बारे में बात करूंगी।
भोलू के पापा भी स्कूल में विज्ञान पढ़ाते थे। बच्चों को विज्ञान के प्रयोग करके दिखाते थे। बच्चे उन्हें इस वजह से बहुत पसंद करते थे।
इस समय वे नहा रहे थे। नहाकर निकले तो मां ने उनसे मौसी के बारे में बताया। भोलू के पापा ने कहा- चिंता की बात नहीं है। हम मौसी की रक्षा करेंगे। भोलू की मां मौसी को यह बात बताने गई। उसने मौसी से कहा-चिंता की बात नहीं है। हम लोग कुछ करेंगे।
0000000000
भोलू के पिता ने कहा- मैं जरा रायपुर होकर आता हूं। मेरे डॉक्टर दोस्त दिनेश मिश्रा वहां रहते हैं। वे अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति नाम की संस्था चलाते हैं। जहां कुछ लोग चमत्कार दिखाकर लोगों को ठगते हैं वहां जाकर वे और उनके साथी चमत्कारों की पोल खोल देते हैं। जब किसी महिला पर जादू टोने का आरोप लगता है तो डाक्टर साहब वहां जाकर लोगों को समझाते हैं कि जादू टोना कुछ नहीं होता। वे उन्हें यह जानकारी भी देते हैं कि किसी पर जादू टोने का आरोप लगाना कानून की नजर में अपराध है। इसके लिए सजा हो सकती है। डाक्टर साहब को राज्य सरकार ने उनके इस काम के लिए पुरस्कार भी दिया है।
मां ने कहा- मैंने भी उनका नाम सुना है। अब जरूर कोई रास्ता निकलेगा। भोलू के पापा डाक्टर साहब से मिलने चले गए।
000
शाम को वे लौटे। उन्होंने कहा-डाक्टर साहब खुद यहां आएंगे। उन्होंने मौसी की मदद करने का वादा किया है।
मां ने खुश होकर भोलू की ओर देखा। वह तो सबसे ज्यादा खुश था।
वे सब डाक्टर साहब का इंतजार करने लगे।
000
दो दिन बाद, मुर्गे की बांग की जगह भोलू की नींद डमरू की आवाज से खुली। उसने सोचा बाहर कोई मदारी आया होगा। वह उठकर बाहर आया मगर जो देखा उससे डरकर भीतर आ गया। बाहर कुछ अजीब से लोगों की टोली गाते बजाते चली आ रही थी। वे लोग अपने बदन पर भभूत लगाए हुए थे। सर पर जटाएं थीं। दाढ़ी बढ़ी हुई थी। सब नंगे पांव थे। कुछ के पास शंख थे। कुछ के पास मंजीरे। वे सब अपनी धुन में मस्त दिख रहे थे।
गांव वाले उनकी वेशभूषा देखकर डरे हुए थे। लेकिन कुछ लोग उत्सुकता से उनके पीछे पीछे चल रहे थे। इनमें बच्चे ज्यादा थे। इन्हें देखकर भोलू भी पीछे हो लिया। इस टोली ने गांव के बाजार के पास एक पेड़ के नीचे डेरा डाला। उनका संतों जैसा वेश देखा तो कुछ गांव वालों ने आकर उनके पांव छुए। टोली के मुखिया ने कमंडल से निकाल कर रंगीन पानी श्रद्धालुओं पर छिडक़ा। कुछ भक्तों को कपड़े खराब होने से बुरा भी लगा लेकिन वे चुप रहे। थोड़ी देर बाद रंग गायब हो गया। भक्त हैरान हो गए। वे टोली की जयजयकार करने लगे। जल्द ही यह खबर फैली और पूरा गांव वहां जमा हो गया। लोग उनके पांव छूने लगे। जल्द ही वहां दरियां बिछ गईं और लोग बाबाओं के साथ कीर्तन करने लगे।
मुख्य बाबा ने तब कहा- सूखी लकडिय़ां ले आओ। हमारे अनुष्ठान का समय हो गया।
गांव वाले आनन फानन सूखी लकडिय़ां लेकर आ गए। उन्हें एक जगह जमाकर मुख्य बाबा ने उस पर पानी के छींटे मारे तो लकडिय़ों से धुआं निकलने लगा। बाबा और उनके साथियों की जयजयकार होने लगी।
बाबा ने हाथ में दो रस्सियां लीं। कुछ मंत्र बुदबुदाए । रस्सियों का एक एक सिरा पकडक़र झटका दिया। लोग हैरान रह गए कि दोनों रस्सियां जुडक़र एक हो गईं। बाबा की फिर जयजयकार होने लगी।
बाबा ने आग को हथेली पर रखने और उसे मुंह में रखकर मुंह बंद करने जैसे चमत्कार भी दिखाए। लोग उनके मुरीद हो गए।
फिर तो बाबा का आशीर्वाद पाने की होड़ मच गई। यह सिलसिला थमा तो लोग अपनी समस्याएं बाबा को बताने लगे। बाबा ने बहुत सी समस्याओं का समाधान किया। आंखों से जुड़ी समस्याओं का तो उन्होंने बहुत आसानी से समाधान बताया। लोग उनका ज्ञान देखकर हैरान रह गए।
घंटे भर यह सब चलने के बाद बाबा ने कहा- मुझे लग रहा है कि गांव में कुछ गलत नीयत वाले लोग भी रहते हैं। मैं नींबू काटकर देखता हूं कि मेरा अनुमान सही है कि नहीं। नींबू से अगर खून निकला तो समझो ये लोग गांव में हैं। गांव वाले उत्सुकता से देखने लगे। बाबा ने झोले से एक नींबू निकाला, उसे चाकू से काटा तो खून जैसा लाल लाल रस निकलने लगा। बाबा ने आंखें बंद कीं और पूछा- यहां बिज्जू, रज्जू और कल्लू कौन हैं? तीनों भीड़ में ही खड़े थे। हालांकि वे गांव में सबको डराते धमकाते थे लेकिन बाबा का चमत्कार देखकर डरे हुए थे। उन्होंने आगे आकर कहा- हम हैं बिज्जू, रज्जू और कल्लू।
बाबा ने कहा- मेरी दिव्य दृष्टि कहती है कि तुम लोग किसी कमजोर को सता रहे हो। क्या यह सच है?
तीनों ने कहा- नहीं बाबा, ऐसा नहीं है।
तो क्या मैं झूठ बोल रहा हूं-बाबा गरजे।
तीनों के मुंह से बोल नहीं फूटे।
बाबा ने कहा- अगर तुम लोग निर्दोष हो तो तुम्हें आग पर चलकर इसका सबूत देना होगा। क्यों भई गांव वालों?
बाबा की मौजूदगी में गांव वालों में जोश आ गया था। उन्होंने एक साथ कहा-जरूर जरूर।
तीनों घबरा गए। फिर उनमें से एक ने कहा- हम लोग जरा अपने घर से आते हैं। बाबा का जवाब सुनने के पहले वे तीनों तेज कदमों से वहां से निकल भागे।
इसके बाद घंटे भर लोग उनका इंतजार करते रहे। वे नहीं लौटे।
बाबा ने कहा- कोई बात नहीं। अगर इन्होंने कमजोर को सताना जारी रखा तो मुझे पता चल जाएगा और मैं अगले हफ्ते फिर आऊंगा। तब ये कहीं भाग नहीं सकेंगे।
बाबा की जयजयकार के नारे गूंजने लगे। बाबा ने कहा- अब हम प्रस्थान करेंगे।
बाबाओं की टोली गांव से गाते बजाते रवाना हुई।
मौसी की समस्या हल हो चुकी थी।
000000
रात में खाने के समय भोलू ने पापा से पूछा- डा. दिनेश मिश्रा कब आएंगे?
पापा मां की तरफ देखकर मुस्कुराए फिर भोलू से कहा- बाबाओं की टोली के मुखिया डाक्टर साहब ही थे। वे सब वेश बदलकर आए थे। मैंने उन्हें पहचान लिया। यह सारा ड्रामा उन्होंने बदमाशों को डराने और मौसी को बचाने के लिए किया। डाक्टर साहब ने मुझसे फोन पर कहा है कि अभी उनका मकसद मौसी को बचाना था। वह तो हो गया। समय और मौका देखकर वे गांव वालों को चमत्कारों की हकीकत भी बता देंगे और यह भी बता देंगे कि टोना टोटका कुछ नहीं होता। अगर बेचारी मौसी में चमत्कारी शक्तियां होतीं तो वे बदमाशों को सबक सिखा सकती थीं। लेकिन वे तो मामूली इंसान हैं। इसीलिए बदमाश उन्हें सता रहे हैं। डाक्टर साहब ने यह भी कहा है कि बदमाश न माने तो वे पुलिस की भी मदद लेंगे।
भोलू हैरान रह गया। उसने मन ही मन कहा- डाक्टर साहब तो हीरो हैं।
पापा ने कहा- डाक्टर साहब ने बाबा के रूप में जितने चमत्कार दिखाए वे विज्ञान के मामूली खेल हैं। ये खेल मैं तुम्हें भी सिखा दूंगा।
भोलू खुश हो गया। पापा ने उसे बताया कि सोडियम के टुकड़े पर पानी डालने से धुआं उठने लगता है। सोडा लगे हुए चाकू से नींबू काटने पर उसका रस लाल हो जाता है। पापा ने उसे हाथ की सफाई वाले जादू भी सिखाए जिनमें रस्सियों को गांठ लगाए बगैर जोडऩे का जादू शामिल था। उन्होंने वादा किया कि शहर में लगने वाले मेले से वे उसे जादू दिखाने का किट ला देंगे। भोलू उसकी मदद से अपने साथियों को ढेर सारे खेल दिखा सकेगा।
भोलू ने स्कूल में कुछ चमत्कार करके दिखाए और दोस्तों को उनकी हकीकत भी बताई। दोस्तों को पता चल गया कि विज्ञान की पढ़ाई करने के क्या फायदे हैं।
000
कुछ रोज ऐसे ही बीते। मौसी रोज सुबह उठती। उसके चेहरे पर उदासी नहीं होती। उसकी दिनचर्या पहले जैसी चलने लगी। भोलू ने एक रोज मां से पूछा तो उन्होंने बताया कि मौसी को अब कोई नहीं सता रहा है। बदमाशों को पता चल गया है कि मौसी को बचाने के लिए बाबाओं की पूरी टोली मौजूद है।
एक सुबह भोलू उठकर मौसी के घर गया। उसने मौसी से पूछा- क्यों मौसी, सुबह हो गई?
मौसी ने मुस्कुराते हुए कहा- गांव में वाकई सुबह हो गई।
- निकष परमार
0000000000000000000